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Socialization Process in Hindi| समाजीकरण की प्रक्रिया| समाजीकरण प्रक्रिया की विशेषताएं

Socialization Process in Hindi 

समाजीकरण प्रक्रिया का अर्थ 

समाजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोगों को समाज के कुशल सदस्य बनने के लिए सिखाया जाता है।यह उन तरीकों का वर्णन करता है जिनसे लोग सामाजिक मानकों और अपेक्षाओं को समझने, समाज की मान्यताओं को स्वीकार करने और सामाजिक मूल्यों से अवगत होने के लिए आते हैं।

संस्कृति प्राप्त करने की सामान्य प्रक्रिया को समाजीकरण कहा जाता है।

समाजीकरण की प्रक्रिया तब शुरू हो जाती है जब अबोद्ध बालक का अपने माता पिता, परिवार के सदस्यों तथा अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आना शुरू हो जाता है और फिर यह कार्य जीवन भर चलता है।

बालक जैसे जैसे बड़ा होता है वैसे वैसे वह सहयोग सहानुभूति तथा सामाजिक मूल्यों एवं नियमों को अच्छी तरह ग्रहण कर लेता है।

किशोरावस्था के अंत तक बालक में सर्वाधिक परिपक्वता का विकास होता है । इस अवधि में सामाजिक चेतना को प्राप्त करता है, अधिक से अधिक मित्र बनाता है तथा समूह बनता है।


Characteristics of Socialization Process in Hindi 

समाजीकरण प्रक्रिया की विशेषताएं 


  • समाजीकरण प्रक्रिया जन्म से शुरू होती है और मृत्यु तक जारी रहती है।हालांकि यह कभी भी रुकता नहीं है, समाजीकरण की गति और प्रकृति जीवन के विभिन्न चरणों में भिन्न होती है।
  • समाजीकरण की प्रक्रिया "मानव" को "सामाजिक अस्तित्व" में बदल देती है ताकि वह संगठित समूह के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका को अधिक प्रभावी ढंग से निभा सके।
  • उचित समाजीकरण के कारण ही व्यक्तित्व का स्वस्थ विकास संभव है।
  • किसी एक और एक ही समाज के व्यक्ति के समाजीकरण की प्रक्रिया एक दूसरे से भिन्न हो सकती है।
  • अलग-अलग समाजों और समूहों में समाजीकरण की प्रक्रिया अलग-अलग होती है और इसी कारण विभिन्न समुदायों के लोगों के जीवन के तरीके एक दूसरे से अलग-अलग होते हैं।
  • समाजीकरण की सहायता से, संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाता है।
  • समय के साथ, व्यक्तिगत नेताओं की पुरानी भूमिकाएं, जिम्मेदारियां और हित तथा नए नेता शामिल हैं।इस प्रक्रिया को फिर से समाजीकरण कहा जाता है।
  • जब बच्चा अपने ही समाजीकरण की प्रक्रिया में शामिल होता है तो उसे स्वतंत्रता दी जाती है और उसे अपने छिपे हुए गुणों को सामने लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसे भागीदार समाजीकरण कहा जाता है।
  • जब किसी बच्चे को सीमित स्वतंत्रता दी जाती है तो उसे आज्ञाकारी बनाया जाता है तथा सामाजिक मूल्यों और प्रतिमानों को जानने के लिए विवश किया जाता है, उसे दमनकारी समाजीकरण कहा जाता है। दमनकारी समाजीकरण के उदाहरण आम तौर पर समाजवादी समाजों में पाए जाते हैं।
  • समाजीकरण प्रक्रिया दो तरफा प्रक्रिया है अर्थात न केवल वयस्क बच्चों के लिए सामाजिक हो, बल्कि कभी-कभी बड़े भी बच्चों द्वारा सामाजिक बन सकते हैं।जैसे एक शिक्षित बच्चा एक अशिक्षित पिता को सामाजिक कर सकता है।


Role of teacher in Socialization of Child 
बालक के सामाजिकरण में शिक्षक की भूमिका

- माता पिता के बाद अध्यापक ही बालक के सामाजिक एवं मानसिक विकास की दिशा निधधारित करता है।

- अध्यापक बालको को अच्छे व्यक्तित्व को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

- अध्यापक को चाहिए की वह बच्चो को सामूहिक क्रियाओं में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान करे इस प्रकार उसका सामाजिकरण अपने आप हो जाता है।

- अध्यापक को चाहिए की वह बच्चों से स्नेह एवं सहानुभूति पूर्ण व्यक्हार करे। बच्चे सामाजीकरण के विषय में अधिकतर अपने शिक्षक का अनुकरण करते हैं।

Role of family in Socialization of Child 
बालक के सामाजिकरण में परिवार की भूमिका 

परिवार बच्चों के समाजीकरण की प्रक्रिया में परिवार का प्रमुख योगदान होता है। इसका कारण है की हर बच्चे का जन्म किसी न किसी परिवार में ही होता है। जैसा जैसे वो बड़ा होता है वैसे वैसे वह अपने परिजनों से प्रेम , सहानुभूति , सहनशीलता, आदि समाजिकगुणों को सीखता है और धीरे धीरे वह अपने परिवार के रीतिरिवाज और परम्पराओं को सीख लेता है।


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