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Role of Women as Protector of Environment| पर्यावरण के संरक्षक के रूप में महिलाओं की भूमिका

Role of Women as Protector of Environment
पर्यावरण के संरक्षक के रूप में महिलाओं की भूमिका 


Indian women have an important role to play in the protection of the environment. The role of women in the conservation and promotion of the environment has been defined by individual scholars.

पर्यावरण के संरक्षण में भारतीय महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में महिलाओं की भूमिका को अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग परिभाषित किया है।

According to Karl Marx, "there can be no major social change without women."

कार्ल मार्क्स के अनुसार ‘कोई भी बड़ा सामाजिक परिवर्तन या कार्य महिलाओं के बिना नहीं हो सकता है।’

According to cophy annan, the future of the planet depends on women.

कोफी अन्नान के अनुसार इस ग्रह का भविष्य महिलाओं पर निर्भर करता है।

In the Rio declaration, it is held that women have played an important role in environmental management and development. Full participation of women is necessary for sustainable development.

रियो डिक्लेरेशन में माना गया है कि पर्यावरण प्रबन्धन एवं विकास में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। सतत विकास हेतु महिलाओं की पूर्ण भागीदारी आवश्यक है।

If it is discussed in the Indian context, Indian women have been in favour of environmental protection since vedic times. The growth of tulsi, a banana plant in every Indian home, and its worship only reflects our environmental affiliation.

भारतीय सन्दर्भ में यदि विवेचना की जाय तो भारतीय महिलाएँँ वैदिक काल से ही पर्यावरण संरक्षण की पक्षधर रही हैं। हर भारतीय घर में तुलसी, केले का पौधा होना, उनका पूजन हमारे पर्यावरण से जुड़ाव को ही परिलक्षित करता है।

Indian women are playing an important role in this direction. Indian women have always contributed to the protection of environment. Wherever the environment has been affected, the vocal protest has been made by all including our environmental women.

भारतीय महिलाएँँ इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही हैं। पर्यावरण संरक्षण में भारतीय महिलाओं ने सदैव ही योगदान दिया है। जहाँ भी पर्यावरण को हानि पहुँचाने का कार्य हुआ है, उसा मुखर विरोध हमारी पर्यावरणविद महिलाओं सहित सभी ने किया है।

In Indian history, there have been several environmental protection movements for women who have been initiated. Some of them are prominent.

भारतीय इतिहास में ऐसे कई पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन हुए हैं जिनकी प्रणेता महिलाएँँ रही हैं। उनमें से कुछ प्रमुख हैं।


1. Khejarli movement खेजड़ली आन्दोलन


The khejarli movement in rajasthan is an incredible example of environmental consciousness. The movement was carried out by the local people in the village of khejarli in rajasthan.

राजस्थान में खेजड़ली आन्दोलन पर्यावरण चेतना का अतुलनीय उदाहरण है। राजस्थान के खेजड़ली गाँव में हुआ यह आन्दोलन गाँव के स्थानीय लोगों द्वारा किया गया था।

In 1730 when wood was required to build the palace built by the maharaja of jodhpur, the king 's soldier took the axe and reached the village of khejarli where the khejdi trees were very much attached.

सन 1730 में जोधपुर के महाराजा द्वारा बनाए जाने वाले महल के निर्माण हेतु जब लकड़ी की आवश्यकता हुई तो राजा के सिपाही ने कुल्हाड़ी लेकर खेजड़ली गाँव में पहुँचे जहाँ खेजड़ी के वृक्ष बहुत अधिक लगे हुए थे।

But the village woman Amrita devi protested against the soldiers and, in order to save the tree from being cut, wrapped herself on the tree with her three daughters and sacrificed her life to save the tree.

किन्तु गाँव की महिला अमृता देवी ने सिपाहियों का विरोध किया और वृक्षों को काटने से बचाने के लिये अपनी तीन पुत्रिओं सहित वृक्षों पर लिपट गई तथा वृक्ष बचाने हेतु अपने प्राणों की आहुति दे दी।

As soon as this news was brought about, 363 people too died to conserve the tree. This event was propagated by Richard barve as an example of environmental protection throughout the world.

इस खबर के प्रचारित होते ही 363 लोगों ने भी वृक्ष संरक्षण हेतु अपने प्राणों को त्याग दिया। इस घटना को रिचर्ड बरवे द्वारा सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण देते हुए प्रचारित किया गया।


2. The chipko movement चिपको आन्दोलन


This movement based on the spirit of ‘प्राण जाय पर वृक्ष न जाय’, started in the year 1973 from the chamoli place of then Uttar pradesh.

‘प्राण जाय पर वृक्ष न जाय’ की भावना पर आधारित यह आन्दोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के ‘चमोली’ स्थान से सन 1973 में प्रारम्भ हुआ।

The pioneer of this movement was Sunderlal bahuguna, but women played an important role in this movement.

इस आन्दोलन के प्रणेता श्री सुन्दर लाल बहुगुणा थे किन्तु महिलाओं ने इस आन्दोलन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


The environmental protection movement for nearly a decade brought the importance of environmental protection to the common man.

लगभग एक दशक तक चले इस पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन ने पर्यावर्ण संरक्षण की महत्ता को जन सामान्य तक पहुँचाया।

It is also called the eco - feminist movement because its workers were mostly women.

इसे ‘ईको फेमिनिस्ट’ आन्दोलन भी कहा जाता है क्योंकि इसकी कार्यकर्ता अधिकांश महिलाएँँ ही थीं।

On 26 March 1974, the women of chamoli village under the leadership of the Gaura devi drove the people who had come to cut down the Reni trees by saying 'the jungle is our home, we will not let it cut'.

गौरा देवी के नेतृत्व में 26 मार्च 1974 को रेणी के वृक्ष काटने आये लोगों को चमोली गाँव की महिलाओं ने यह कहकर भगा दिया कि ‘जंगल हमारा मायका है, हम इसे कटने नहीं देंगे’।

In an analysis, this term only reflects the environmental protection of Indian women. Like her parent 's position in her life, that is the life of the trees. This love for environmental protection will rarely be evident in any culture.

विश्लेषण किया जाय तो यह शब्द ही भारतीय महिलाओं की पर्यावरण संरक्षण की भावना को दर्शाता है। जिस तरह उनके जीवन में अपने पितृ-पक्ष का स्थान है वही स्थान वृक्षों का उनके जीवन में है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति ऐसा स्नेह शायद ही किसी संस्कृति में दृष्टिगोचर होगा।


3. Navdanya Movement नवधान्या आन्दोलन

Beej bachao Andolan

Under this movement, individuals are trained for organic farming, seeds are distributed to farmers, help the consumers to become aware of the adverse effects of rust food and harmful pesticides and fertilizers and to produce and use organic nutrient foods.

इस आन्दोलन के अन्तर्गत जैविक खेती के लिये व्यक्तिओं को प्रशिक्षित किया जाता है, किसानों को बीज वितरित किये जाते हैं, उपभोक्ताओं को जंग फूड और हानिकारक कीटनाशकों व उर्वरकों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने व जैविक पोषक युक्त खाद्य पदार्थों के उत्पादन व उपयोग की जानकारी देते हैं।

The aim of the movement is to make a 'food rich city' and also to conserve biodiversity of India through this movement.

इस आन्दोलन का उद्देश्य ‘भोजन सम्पन्न नगर बनाना है।’ साथ ही इस आन्दोलन के माध्यम से भारत की जैवविविधता के संरक्षण का भी कार्य किया जा रहा है।

Navdani means' nine seeds' this movement is a women - centric movement which is conserving biological and cultural diversity.

नवधान्या का अर्थ है ‘नौ बीज’ यह आन्दोलन महिला केन्द्रित आन्दोलन है जो कि जैविक एवं सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण का कार्य कर रहा है।

This movement has been launched in 1987 under the leadership of an environmentalist, Vandana shiva.

यह आन्दोलन पर्यावरणविद वन्दना शिवा के नेतृत्व में सन 1987 से चलाया जा रहा है।


4. The Narmada bachao Movement नर्मदा बचाओ आन्दोलन

The famous environmentalist Medha Patkar who called the pioneer of the narmada - bachao movement was influenced by Gandhian thought.

नर्मदा बचाओ आन्दोलन की प्रणेता के रूप में प्रसिद्ध पर्यावरणविद ‘मेधा पाटकर’ गाँधीवादी विचारधारा से प्रभावित हैं। In the forest, women are the only who played the role of the collectors, protectors and managers.

वनों में महिलाएँँ संग्रहणकर्ता, संरक्षक व प्रबन्धक तीनों की ही भूमिका निभाती हैं।

Narmada Bachao Andolan is the most powerful mass movement, started in 1985, against the construction of a huge dam on the Narmada river.

नर्मदा बचाओ आन्दोलन 1985 में शुरू हुआ, यह नर्मदा नदी पर एक विशाल बांध के निर्माण के विरोध में सबसे शक्तिशाली जन आंदोलन है।

Narmada Bachao Andolan consists of human activist, farmers, Adivasis, and people established on the bank of Narmada river.

नर्मदा बचाओ आन्दोलन में मानव कार्यकर्ता, किसान, आदिवासियों और नर्मदा नदी के किनारे स्थापित लोग शामिल हैं।


Given the importance of women, the national forest policy -1988 accorded the importance to women 's participation.

महिलाओं की महत्ता को देखते हुए ही राष्ट्रीय वन नीति-1988 में महिलाओं की सहभागिता को महत्त्व दिया गया।

In rajasthan, udaipur area women changed the desert and sandy lands into green fields.

राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में महिलाओं ने ऊसर व रेतीली जमीनों को हरे-भरे खेतों में बदल दिया।

Save the daughter, save the environment, in 2006 in rajsamand district of rajasthan in the village of piplantri, a rule was made to plant 111 trees for the birth of a daughter.

बेटी बचाओ, पर्यावरण बचाओ की भावना के साथ सन 2006 में राजस्थान के राजसमन्द जिले के पिपलन्तरी के ग्राम में बेटी के जन्म पर 111 वृक्ष लगाने का नियम बनाया गया।

2.86 lakh trees have been planted in the scheme so far. The village has also received the nirmal gram awards in 2008.

इस योजना में अब तक 2.86 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं। इस गाँव को 2008 में निर्मल ग्राम पुरस्कार भी मिला है।

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