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Laboratory Method of teaching mathematics in Hindi प्रयोगशाला विधि

Laboratory Method of teaching mathematics


प्रयोगशाला विधि
(LABORATORY METHOD)


प्रयोग शब्द एक व्यापक शब्द है। प्रारम्भ में व्यक्ति ने कुछ वस्तुओं को खाकर देखा होगा अर्थात उनको खाने का प्रयोग किया होगा और प्रयोग के आधार पर जिन्हें लाभकर पाया होगा, उनका खाना जारी रखा होगा और जिन्हें प्रयोग के आधार पर हानिकारक पाया होगा उनका खाना वर्जित किया होगा।

अगर वास्तव में विचार किया जाये तो व्यक्ति ने अब तक जो भी कुछ सीखा है वह सब प्रयोग अर्थात निरीक्षण, अनुभव, निर्णय द्वारा ही सीखा है।

इस दृष्टि से प्रयोग विधि नैसर्गिक विधि है, परंतु जब हम शिक्षण के समय में प्रयोगात्मक विधि की बात करते हैं तो वही इस सीखने की प्रयोगात्मक विधि से कुछ भिन्न है।

प्रयोगात्मक विधि शिक्षण की वह विधि है जिसके द्वारा छात्र खोजे गये तथ्यों, नियमों और सिद्धान्तों का प्रयोग सत्यापन द्वारा करते हैं और उनका प्रयोग तत्सम्बन्धी समस्याओं को हल करने में करते हैं।

 

प्रयोग तो अनेक शिक्षण विधियों में किये जाते हैं, परंतु उन सबको प्रयोगात्मक विधि नहीं कहते है। प्रयोगात्मक विधि वह विधि है जिसमें शिक्षक छात्रों को सर्वप्रथम तथ्यो, नियमों अथवा सिद्धान्तों का ज्ञान कराता है और फिर छात्रों को इन तथ्यो; नियमों अथवा सिद्धान्तों को प्रयोगों द्वारा सिद्ध करने की विधि बताता है और इसके बाद छात्र प्रयोग करते हैं। शिक्षक उनके इस कार्य में सहायता करता है और अन्त में छात्र प्रयोगों के निष्कर्ष से तथ्य, नियम व सिद्धान्त का सत्यापन करते है। इस विधि का प्रयोग इस प्रकार सीखे गये तथ्यो, नियमों एवं सिद्धान्तों के प्रयोग हेतु भी किया जाता है।


प्रयोगशाला विधि वास्तव में आगमन विधि का विस्तृत रूप है जहाँ छात्र स्वयं करके सीखता है। तथा सिद्दान्तों का प्रतिपादन केवल चित्र बनाकर ही नहीं, बल्कि स्वयं मानकर करता है। मीटर, लीटर किलोग्राम प्रणाली में छोटी छोटी मापो को लेकर बड़ी बड़ी मापों के एक दूसरे से संबंद्ध की जानकारी छोटे बच्चों को वास्तविक ज्ञान की जानकारी प्रयोगशाला से ही दी जा सकती है।

खेतों के क्षेत्रफपल का ज्ञान खेतों पर ले जाकर नपवाकर दिया जा सकता है। बड़े बड़े छात्रों को गणित के प्रयोग कम्यूटर, सेक्सटेट आदि अनेक यन्त्रों के माध्यम से दी जा सकती है। गणित की प्रयोगशाला का तात्पर्य नाप-तोल के कार्य स्वयं करके सीखने से होता है।

अतः प्रयोगशाला विधि वह विधि है जहाँ छात्र स्वयं कार्य करके ज्ञान को अर्जित करते हैं। इसमें निम्न सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता है-


1. करके सीखना।

2. निरीक्षण से सीखना।

3. मूर्त से अमूर्त की ओर।

 

रेखागणित में सभी नियमों का निर्माण करना प्रयोगशाला विधि पर आधारित है। ठोसों क ज्ञान, उनका पृष्ठतल व आयतन की गणना करना भी प्रयोगात्मक तथ्य है। खेतों के क्षेत्रफल बैंक की संम्मूर्ण कार्यवाही की जानकारी, रेखा, कोणों का बनाना तथा वृत्त की परिधि और व्यास में संबंध स्थापित करना आदि प्रयोगात्मक तथ्य ही हैं।


प्रयोगशाला विधि के गुण ( Merits of Laboratory Method )


1. इस विधि में अनुसन्धान प्रक्रिया प्राकृतिक है।

2. यह विधि पदार्थो के स्थूल भाग से प्रारम्भ होती है इसलिए छात्र रुचि लेते हैं।

3. इस विधि द्वारा गणित के प्रयोग आसानी से हो सकते हैं।

4. इस विधि से छात्रों को तथ्यों तथा सिद्धान्तों का ज्ञान स्पष्ट होता है। 


प्रयोगशाला विधि के दोष ( Demerits of Laboratory Method )

 

1. गणित में छात्रों को अनुसन्धान करना आसान काम नहीं है।

2. यह शिक्षण विधि शिक्षण की बहुत धीमी गति की विधि है।

3. इस विधि में आर्थिक भार अधिक पड़ता है।

4. इस विधि में गणित सम्बन्धी तर्क शक्ति का विकास नहीं होता है।

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