पर्यावरण शिक्षा का अर्थ
पर्यावरण शिक्षा से तात्पर्य बह शिक्षा से है - जिसमें बच्चों को पर्यावरण में उपस्थित सभी घटकों के बारे में जानकारी दी जाती है, उसके लाभ एवं नहीं होने पर क्या क्या हानि हो सकती है इसको बताया जाता है साथ ही घटकों का संरक्षण कैसे किया जाए इसकी जानकारी दी जाती है।
पर्यावरण शिक्षा की परिभाषा
युनेस्को कार्य समिति (1970) के अनुसार :- "पर्यावरण शिक्षा दायित्वों को जानने एवं विचारों को स्पष्ट करने की वह प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य अपनी संस्कृति तथा जैव भौतिक परिवेश के मध्य अपने आप की संबद्धता को पहचानने एवं समझने के लिए आवश्यक कौशल और अभिवृत्ति का विकास कर सके।
साधारण शब्दों में,
वैसी शिक्षा जिसमें व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सुरक्षा, संतुलन एवं प्रबंध को लेकर जागृत किया जाता हो, पर्यावरण समस्या से अवगत कराकर उसके हल खोजने के योग्य बनाया जाता हो, पर्यावरण शिक्षा कहलाता है।
पर्यावरण शिक्षा की विशेषता
पर्यावरण शिक्षा के फल स्वरुप मनुष्य अपने पर्यावरणीय घटकों के बारे में समझ विकसित करते हैं।
यह शिक्षा मनुष्य एवं उसके सांस्कुतिक तथा जैविक वातावरण के पारस्परिक संबंधों का बोध कराता है।
इसमें पर्यावरण के असंतुलन की पहचान की जाती है एवं उसके सुधार का प्रयत्न किया जाता है।
पर्यावरण शिक्षा में पर्यावरण की गुणवत्ता क्षेत्र निर्णय लिया जाता है।
पर्यावरण शिक्षा द्वारा बालक को स्वयं प्राकृतिक तथा जैविक वातावरण की समस्थाओं के खोजने एवं उसके हल करने के समर्थ मनाया जाता है।
पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य एवं महत्व
लोगों को पर्यावरण की सत्य तथा तथ्यात्मक जानकारी देना।
पर्यावरणीय समस्याओं को बताना तथा समस्या होने के कारण को पता करना एवं उसके हल खोजने के लिए मनुष्य को तैयार करना।
पर्यावरण संरक्षण, सुरक्षा एवं सुधार के कार्य में हेत् प्रेरित करना।
पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए प्रेरित करना।
भावी पीढ़ी के भविष्य को समझकर कार्यों को करने की समझ देना।
"जियो और जीने दो वाली भावना को आत्मसात करने को तैयार करना।
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