Pedagogy of Mathematics B.Ed Notes
गणित के पाठ्यक्रम के सिद्धान्त तथा प्रवृत्ति
PRINCIPLES OF MATHEMATICS CURRICULUM
(1) गणित के अनुभवों में अविच्छिन्नता (Continuity in Mathematics Experiences) - गणित का पाठ्यक्रम प्राथमिक कक्षाओं से जूनियर तथा हाई स्कूल कक्षाओं तक एक निश्चत क्रम हो । जैसे-जैसे बालक की कक्षा-ऊँची होती जाती है, वैसे-ही-वैसे पाठ्यक्रम भी एक क्रम में विकसित होता जाय। एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाने में किसी प्रकार का रिक्त स्थान न हो, प्रत्यय (concepts) सरल से जटेल होते जाये ।
(2) विभिन्नता (Diversification) - पाठ्यक्रम इस प्रकार का होना चाहिए कि प्रत्येक स्तर का बालक उससे लाभ उठा सके । स्तर का तात्पर्य यह है कि भिन्न-भिन्न योग्यता (ability), रुचि (interest), अभिरुचि (aptitude), आयु (age) तथा अनुभव (experiences) वाले छात्रों को पाठ्यक्रम से लाभ हो सके।
(3) शिक्षण के उद्देश्यो में पर्विर्न के लिए स्थान (A place for the change in Objectives of teaching) - पाठ्यक्रम द्वारा भिन्न-भिन्न उद्देश्यों की पूर्ति होनी चाहिए। इसमें प्रत्येक स्तर के छात्रों को लाभ होता है। प्रत्यय (concepts) बनने का आधार समस्याओं का हल होना लाभप्रद होगा।
(4) शिक्षण का व्यक्तिकरण (Individualization of teaching) - पाठ्यक्रम में पाठ्य-वस्तुएँ ऐसी हों जिनको प्रत्येक छात्र किसी-न-किसी रूप में प्रयोग में ला सके। पाठ्यक्रम द्वारा सभी छात्र क्रियाशील रहें तथा इसके आधार पर छात्रों की भिन्नता का भी ज्ञान हो सके।
(5) विषयों में सह-सम्बन्ध (Correlation of Subjects) - गणित के अंतर्गत अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, ठोस ज्यामिति (Solid Gcometry) तथा निर्देशांक ज्यामिति (Co-ordinate Geometry) आते है। पाठ्यक्रम तैयार करते समय उपर्युक्त सभी विषयों के सम्बन्ध का ध्यान आवश्यक है।
(6) गणित की विज्ञान की क्षेत्र में वृद्धि (Increase in the use of Mathematics in Science) - गणित का विज्ञान के क्षेत्र में बडा महत्व है। इसके बिना विज्ञान में प्रगति सम्भव नहीं है। इसके साथ-ही-साथ गणित के द्वारा ही विज्ञान सें मात्रा सम्बन्धी (Quantitative) ज्ञान हो सकता है। अन्य विद्यालय विषयों से संबंध का ध्यान रखना चाहिए।
(7) गणित जीवन का एक मार्ग है (Mathematics is a way of life) - गणित का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। इसलिए पाठ्यक्रम तैयार करने में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि उसमें ऐसी सामग्री अवश्य हो जिसका जीवन से सम्बन्ध हो।
(8) पाठ्यक्रम में छात्रों के गणित-सम्बन्धी अभिवृत्ति तथा चातुर्य के विकास हेतु सामग्री हो (Curriculum in Mathematics should include material to develop attitude and skill in Mathematics) - इस प्रकार की समस्याओं का चयन किया जाए जिनके द्वारा छात्रों में अभिवृत्ति तथा चातुर्य पैदा हो सके ।
(9) पाठ्यक्रम समान तथा स्थिर न हो बल्कि लचीला हो (Curriculum should not be rigid and uniform but flexible) - पाठयक्रम तैयार करने में भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाए। प्रत्येक वातावरण का ध्यान रखा जाए ताकि भिन्न प्रकार के छात्र उससे लाभ उठा सकें। छात्रों के भविष्य की तैयार तथा व्यवसायों से संबंधित सामग्री पाठ्यक्रम में उपलब्ध हो।
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